चाँद मेरी गली से गुजरना कभी
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना कभी।
वो बचपन का आँगन नही भूलता
पेड़ की डाल से झूला था डोलता।
उसकी उचाँइयों पर थिरकती हुई
उड़ते आँचल से नज़रे फिसलती हुई,
काले गेसू की दो दो गुथी चोटियां
काँच की चमचमाती हुई चूड़ीयां।
चाँद अंबुअा की बगिया मे जाना कभी
यादें मासूम बचपन की लाना कभी।
चाँद मेरी गली से गुजरना कभी
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना कभी।
चाँद तूने भुला दी क्या वो वादियां?
चाँदनी रात की सारी अठखेलियां।
वो रंगीन सपनो की गहराइयां
बहके बहके ख्यालों की रूबाइयाँ।
डूब कर उनमें मदहोश होना कभी
किस्से अल्हड़ जवानी के सुनना कभी।
चाँद मेरी गली से गुजरना कभी
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना कभी।
चांद रूठे जो दुनिया तो शिकवा नहीं
रूठ कर दूर मुझसे, तू ना जाना कभी।
चांद मेरी अरज इतनी करना कबूल
तेरे बिन मुझको जीना न होगा मन्जूर।
चाँद मेरी गली से गुजरना सदा
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना सदा।
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना कभी।
वो बचपन का आँगन नही भूलता
पेड़ की डाल से झूला था डोलता।
उसकी उचाँइयों पर थिरकती हुई
उड़ते आँचल से नज़रे फिसलती हुई,
काले गेसू की दो दो गुथी चोटियां
काँच की चमचमाती हुई चूड़ीयां।
चाँद अंबुअा की बगिया मे जाना कभी
यादें मासूम बचपन की लाना कभी।
चाँद मेरी गली से गुजरना कभी
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना कभी।
चाँद तूने भुला दी क्या वो वादियां?
चाँदनी रात की सारी अठखेलियां।
वो रंगीन सपनो की गहराइयां
बहके बहके ख्यालों की रूबाइयाँ।
डूब कर उनमें मदहोश होना कभी
किस्से अल्हड़ जवानी के सुनना कभी।
चाँद मेरी गली से गुजरना कभी
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना कभी।
चांद रूठे जो दुनिया तो शिकवा नहीं
रूठ कर दूर मुझसे, तू ना जाना कभी।
चांद मेरी अरज इतनी करना कबूल
तेरे बिन मुझको जीना न होगा मन्जूर।
चाँद मेरी गली से गुजरना सदा
मेरी खिङकी पे झिलमिल चमकना सदा।
बेहतरीन !!
ReplyDeleteThanks Ritu. Glad that you liked it.
ReplyDeleteSavita