ये किसकी आहटे हैं ये किसकी दस्तके हैं
महमाँ ये कौन है जो सबको लुभा रहा है
चिमनी से ये निकलता- कोहरा है जो धुऐ अें का
पीछे खड़ा है इसके नया साल जिन्दगी का ।
खिड़की के पट पे चन्दा यूं झिलमिला रहा है
आते हुऐ समय की राहें सजा रहा है
कजरारे बादलों पर सन्देशा अा रहा है
थमता नही थमाये नया साल आ रहा है ।
पेड़ो की डालियों पर लड़ियां तुषार की हैं
िकृसमस की रौशनी में झिलमिल चमक रही हैं
हौली की झाड़ियों पर ये आफताबी गुच्छे
स्वागत में ज्यों किसी के मोती टंगे हुऐ हैं ।
ये शबनमी फिजा है और सर्द हैं हवायें
सपनो भरी नशीली है रात भी रंगीली
बर्फीली चादरों में अगंड़ाइ ले रहा है
थमता नही थमाये नया साल आ रहा है ।
ओढ़ी थी जिसने कल तक इक चुनरी धानी रंग की
श्वेताम्बरी बनी है वसुधा शरत िऋतु की
ये आिशयां सजा है नये साल की खुशी में
पर जश्न करने वालो पीछे तो मुड़ के देखो
एक साल जिन्दगी का चुपके से जा रहा है ।
थमता नही थमाये नया साल आ रहा है ।
नया साल अाप सबको शुभ हो ।
सविता त्यागी
१२.११.२०११
महमाँ ये कौन है जो सबको लुभा रहा है
चिमनी से ये निकलता- कोहरा है जो धुऐ अें का
पीछे खड़ा है इसके नया साल जिन्दगी का ।
खिड़की के पट पे चन्दा यूं झिलमिला रहा है
आते हुऐ समय की राहें सजा रहा है
कजरारे बादलों पर सन्देशा अा रहा है
थमता नही थमाये नया साल आ रहा है ।
पेड़ो की डालियों पर लड़ियां तुषार की हैं
िकृसमस की रौशनी में झिलमिल चमक रही हैं
हौली की झाड़ियों पर ये आफताबी गुच्छे
स्वागत में ज्यों किसी के मोती टंगे हुऐ हैं ।
ये शबनमी फिजा है और सर्द हैं हवायें
सपनो भरी नशीली है रात भी रंगीली
बर्फीली चादरों में अगंड़ाइ ले रहा है
थमता नही थमाये नया साल आ रहा है ।
ओढ़ी थी जिसने कल तक इक चुनरी धानी रंग की
श्वेताम्बरी बनी है वसुधा शरत िऋतु की
ये आिशयां सजा है नये साल की खुशी में
पर जश्न करने वालो पीछे तो मुड़ के देखो
एक साल जिन्दगी का चुपके से जा रहा है ।
थमता नही थमाये नया साल आ रहा है ।
नया साल अाप सबको शुभ हो ।
सविता त्यागी
१२.११.२०११